!! हर साँस तड़प रही है !!
तेरी यादों में मेरी अँखिया
बिन मौसम बरस रही है ।
छाया कैसा विरह का पहरा
मेरी हर साँस तड़प रही है ।।
तेरी यादों में मेरी अँखिया
बिन मौसम बरस रही है ।।
बुझ गये खुशियों के दिये
गमे उल्फत सुलग रही है ।
लुटकर करार मेरे दिल का
मेरे अफसाने सुन रही है ।।
तेरी यादों में मेरी अँखिया
बिन मौसम बरस रही है ।।
मेरे अश्को की दरिया में
नाव उनकी चल रही है ।
बनकर वो इतनी निष्ठुर
"सुशील बटोही" पे हस रही है ।।
तेरी यादों में मेरी अँखिया
बिन मौसम बरस रही है ।।
गीतकार-
निशान्त झा "बटोही"
तेरी यादों में मेरी अँखिया
बिन मौसम बरस रही है ।
छाया कैसा विरह का पहरा
मेरी हर साँस तड़प रही है ।।
तेरी यादों में मेरी अँखिया
बिन मौसम बरस रही है ।।
बुझ गये खुशियों के दिये
गमे उल्फत सुलग रही है ।
लुटकर करार मेरे दिल का
मेरे अफसाने सुन रही है ।।
तेरी यादों में मेरी अँखिया
बिन मौसम बरस रही है ।।
मेरे अश्को की दरिया में
नाव उनकी चल रही है ।
बनकर वो इतनी निष्ठुर
"सुशील बटोही" पे हस रही है ।।
तेरी यादों में मेरी अँखिया
बिन मौसम बरस रही है ।।
गीतकार-
निशान्त झा "बटोही"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें