सौन्दर्य के उपासक
सौन्दर्य की करो उपासना।
आत्म-प्रेम से मिले परमात्मा।
हर जीव में सुन्दर आत्मा।
हर पल जिसे सुहाये,
वही सुखी आत्मा।
सुन्दर, सलोनी,सुरभित अवनी।
सौन्दर्य की है दिव्य विभूति।
सब प्रभु रचना तुम्हारी।
हर पल आये सुखद अनुभूति।
मन सुन्दर, तन सुन्दर
देखें सुन्दर, सुने सुन्दर
करें सुन्दर बखान।
सबसे ऊपर भावना महान।
हे धियावसु सत्य ज्ञान, कर्म से हम बने महान।
दया,ममता,करूणा ,
सेवा,दान उपकार
निश-दिन परमार्थ करें।
बने मानवता की प्रति-मूति,धर्मार्थ
दिन-रात करें।
सब मन हरे
समिर्पित भाव करे।
आत्म-मिलन की अभीप्सा में प्रभु ध्यान धरे।
सप्त ऋषि पास तुम्हारे।
देते सौन्दर्य दान।
अमूल्य भेट प्रभु की
इसे तू जान।
मत कर कभी तू अभिमान।
हों सर्वांग सुन्दर
बने हम महान।
मागते प्रभु से वरदान।
अनुचर
अशोक जौहरी