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शनिवार, 29 जनवरी 2022

सौंदर्य के उपासक । अशोक जौहरी


 

सौन्दर्य के उपासक

सौन्दर्य  की करो उपासना।

आत्म-प्रेम से मिले परमात्मा।

हर जीव में सुन्दर आत्मा।

हर पल जिसे सुहाये,

वही सुखी आत्मा।

सुन्दर, सलोनी,सुरभित अवनी।

सौन्दर्य  की है दिव्य विभूति।

सब प्रभु रचना तुम्हारी।

हर पल आये सुखद अनुभूति।

मन सुन्दर, तन सुन्दर 

देखें सुन्दर, सुने सुन्दर 

करें सुन्दर बखान। 

सबसे ऊपर भावना महान।

हे धियावसु सत्य ज्ञान, कर्म से हम बने महान। 

दया,ममता,करूणा ,

सेवा,दान उपकार

निश-दिन परमार्थ करें।

बने मानवता की प्रति-मूति,धर्मार्थ  

दिन-रात करें।

सब मन हरे 

समिर्पित भाव करे।

 आत्म-मिलन की अभीप्सा में  प्रभु ध्यान  धरे।

सप्त ऋषि पास तुम्हारे।

देते सौन्दर्य दान।

अमूल्य  भेट प्रभु की

इसे तू जान। 

मत कर कभी तू अभिमान।

हों सर्वांग सुन्दर 

बने हम महान। 

मागते प्रभु से वरदान। 

        अनुचर

अशोक  जौहरी

गुरुवार, 27 जनवरी 2022

देश भक्ति कविता ✍️अशोक जौहरी


 ।।।।।ललकार।।। 

उठो वीरों क्यों तुम सो रहे?

विघटित ,भ्रमित,दिशाहीन हो रहे।

क्षण क्षण होते अपमानित फिरंगियों से।

हतोत्साहित नपुंसक कापुरूष बने रहे।

विदेशी रौंदते तुम्हे पैरों तले।

अमानुशीय यातनाऐ तुम झेल रहे।

पल पल लुटती लाज वतन की।

क्यों तुम मूक दर्शक  बने रहे?

वेडियों में जकडी माँ भारती।

क्रन्दन करती बिलखती मुक्ति को तडपती 

तुम्हे पुकार रही।

क्यों निर्लज  बने तुम देख रहे?

क्यों खून  तुम्हारा नही खौल रहा?

उठो वीरों शक्ति पुंज हो तुम।

संगठित हो दुश्मन पर टूट पडो।

जन जन को जाग्रत करो।

 स्वराज्य है जन्म  सिद्ध अधिकार हमारा।

क्रान्तिकारियों का है शब्द घोष

क्या तुम भूल रहे?

उठाओ शस्त्र चलो रणभूमि पर।

आजादी का बिगुल बजा दो।

सिंहनाद से कापे धरती।

मुख से फूटे ज्वाला मुखी।

मतवाले चले शीश चढाने।

रूको न तुम वीर कभी।

खून से धरती लाल करो।

माँ का सपना साकार करो।

उद्दात  भावना अजादी की बनी रहे।

सन सैतालीस मे हम आजाद  हुए।

आजादी मिली नही भीख  मे न मनुहार  से।

आजादी मिली कुर्बानी से।

सहेजो इसे जी जान  से।

चीन  पाक घुसपैठ  कर रहे।

नित नये षड्यंत्र रच रहे।

असामाजिक तत्व फिर पनप रहे।

मुस्लिम  लव जेहाद छेड रहे।

जबरन कन्याओं को मुस्लिम बना।

माँ बेटी नही सुरक्षित  समाज  में।

हिन्दुओं जागो देश बचाओ।

संगठित हो राष्ट्रीय  एकता जगाओ।

आपसी वैमनस्य  भुलाओ।

संघे शक्ति का नारा लगाओ।

गद्दारों कै भार भगाओ।

राष्ट्र वादी बनो हिन्दुत्व जगाओ।

देश पशप्रेमी बनो

जन हित मे कार्य  करो।

अखंड भारत  की नीव रखो।

पटेल का स्वप्न साकार  करो 

वसुधैव कुटुम्बुकं का भाव जगाओ। 

जय जननी जय भारत। 



     अशोक जौहरी।

19033 ATS Adv  Indrapuram  gzb.

Ph 8595116629

अशोक जौहरी


 जीवन की





जीवन की मधुमिता,

सुनो देव वाणी सन्तों की।

 कर्ण मधूमितहो जाए। 

माधुरी करती क्रीडा देह में।

चित्त मधुमित हो जाए। 

सहजता,विमलता,नमता

आए जीवन में।

इन्द्रियाँ देव बन जाए। 

प्रेम रस बहे नेत्रों से,

सब मंत्रमुग्ध हो जाऐं।

मधु की बहे वाग्धारा,

अरि मित्र बन जाए। 

बनो मधुमान जीवन में।

दृष्टि मधुर हो जाए। 

मन, वचन, कर्म शुद्ध हो जाए। 

सद्गुणों को ग्रहण करो,

दुर्गुण दूर हो जाऐं।

मधुमास के आगमनमें,

लावण्य सिक्त सलिल धरती करती मधुपान।

हरियाली बिखरती सर्वत्र।,

पत्ता पत्ता होता मधुमान 

रंग बिरंगे फूल खिलते।

सुवासित होते वन उपवन।

विहग गाते सुमधुर गीत।

कल कल बहता नीर।

छेडे मधुर संगीत।

मन्द मन्द चले समीर।

अनिद्य  रूपसी वसुन्दरा।

        अशोक जौहरी