!! कौआ पहिर लेने अछि पाग !!
वाह रे मिथिला , वाह रौ मैथिल
बना रहल छथि अपन भाग ।
हंसक माथे अछि मुरेठा
कौआ पहिर लेने अछि पाग
वाह रे मिथिला , वाह रौ मैथिल
बना रहल छथि अपन भाग ।।
मठोमाठ बनल मिथिला के
ओ बनबैत छथि, आनक भाग ।
अप्पन कीर्ति अइ बड़ सुन्नर
आनक कीर्ति पटुआ साग
वाह रे मिथिला , वाह रौ मैथिल
बना रहल छथि अपन भाग ।।
प्रपञची बनि गेल संचालक
अलापि रहल , लक्ष्मी के राग ।
विद्यापति बनि गेलथि खेलौना
खेला रहल अछि कुटिले काग
वाह रे मिथिला , वाह रौ मैथिल
बना रहल छथि अपन भाग ।।
गीतकार-
निशान्त झा "बटोही"
वाह रे मिथिला , वाह रौ मैथिल
बना रहल छथि अपन भाग ।
हंसक माथे अछि मुरेठा
कौआ पहिर लेने अछि पाग
वाह रे मिथिला , वाह रौ मैथिल
बना रहल छथि अपन भाग ।।
मठोमाठ बनल मिथिला के
ओ बनबैत छथि, आनक भाग ।
अप्पन कीर्ति अइ बड़ सुन्नर
आनक कीर्ति पटुआ साग
वाह रे मिथिला , वाह रौ मैथिल
बना रहल छथि अपन भाग ।।
प्रपञची बनि गेल संचालक
अलापि रहल , लक्ष्मी के राग ।
विद्यापति बनि गेलथि खेलौना
खेला रहल अछि कुटिले काग
वाह रे मिथिला , वाह रौ मैथिल
बना रहल छथि अपन भाग ।।
गीतकार-
निशान्त झा "बटोही"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें