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रविवार, 3 मई 2020

दर्द बढ़ता हैं तो लिख लेता हूँ मैं !! रचनाकार - निशान्त झा "बटोही"

!! भीग लेता हूँ मै !!
     


अश्क बहते हैं तो भीग लेता हूँ मैं
दर्द बढ़ता हैं तो लिख लेता हूँ मैं ।
छोड़ो क्या करोगे पोछकर आँसू
पड़ चुकी आदत पोछ लेता हूँ मैं ।।
                             छोड़ो क्या करोगे ........

ना दिखाओ कोई हमदर्दी मुझको
ये दर्द समझ लेंगे बेदर्दी मुझको ।
अपने गमो को सम्भाल लेता हूँ मैं
अश्क बहते हैं तो भीग लेता हूँ मैं ।।
                               छोड़ो क्या करोगे ........

 मेंरा उजड़ा जीवन वो बसायेगा
"बटोही" का जनाजा जो उठायेगा ।
 हँसी का मुखोटा डाल लेता हूँ मैं
 अश्क बहते हैं तो भीग लेता हूँ मैं ।।
                                  छोड़ो क्या करोगे ........

 रचना -
 निशान्त झा "बटोही"

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