!! भीग लेता हूँ मै !!
अश्क बहते हैं तो भीग लेता हूँ मैं
दर्द बढ़ता हैं तो लिख लेता हूँ मैं ।
छोड़ो क्या करोगे पोछकर आँसू
पड़ चुकी आदत पोछ लेता हूँ मैं ।।
छोड़ो क्या करोगे ........
ना दिखाओ कोई हमदर्दी मुझको
ये दर्द समझ लेंगे बेदर्दी मुझको ।
अपने गमो को सम्भाल लेता हूँ मैं
अश्क बहते हैं तो भीग लेता हूँ मैं ।।
छोड़ो क्या करोगे ........
मेंरा उजड़ा जीवन वो बसायेगा
"बटोही" का जनाजा जो उठायेगा ।
हँसी का मुखोटा डाल लेता हूँ मैं
अश्क बहते हैं तो भीग लेता हूँ मैं ।।
छोड़ो क्या करोगे ........
रचना -
निशान्त झा "बटोही"
अश्क बहते हैं तो भीग लेता हूँ मैं
दर्द बढ़ता हैं तो लिख लेता हूँ मैं ।
छोड़ो क्या करोगे पोछकर आँसू
पड़ चुकी आदत पोछ लेता हूँ मैं ।।
छोड़ो क्या करोगे ........
ना दिखाओ कोई हमदर्दी मुझको
ये दर्द समझ लेंगे बेदर्दी मुझको ।
अपने गमो को सम्भाल लेता हूँ मैं
अश्क बहते हैं तो भीग लेता हूँ मैं ।।
छोड़ो क्या करोगे ........
मेंरा उजड़ा जीवन वो बसायेगा
"बटोही" का जनाजा जो उठायेगा ।
हँसी का मुखोटा डाल लेता हूँ मैं
अश्क बहते हैं तो भीग लेता हूँ मैं ।।
छोड़ो क्या करोगे ........
रचना -
निशान्त झा "बटोही"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें