हास्य दिवस की शुभकामनाएं
'कुछ'
एक बार हम बाजार गए, दाढ़ी बनवानी थी
क्योंकि शाम को शादी में दावत खानी थी
हमने हज्जाम बबलू से पूछा कि क्या लोगे
बोला बस कुछ ही जो आप दोगे
दाढ़ी बनी तो तीस रुपये देकर हमने कहा लीजिए
बोला भाईसाहब हमें तो 'कुछ' ही दीजिए
खैर हमने भी मारा दाँव और उसे समझाया
कुछ तो घर पर है, ये कह उसे शाम को घर बुलाया
सारी योजना मनु की मम्मी को बतलायी
एक गिलास पानी मे थोड़ा दूध और एक मरी मख्खी डलवायी
शाम को बबलू आया और बोला कि हमें 'कुछ' दीजिए
हमने कहा ले जाना पहले दूध तो पीजिए
उसने जैसे ही घूँट भरी तो मख्खी ऊपर आयी
वह तपाक से बोला,इसमें तो कुछ है भाई
हमने कहा ठीक है 'कुछ' निकालो और ले जाओ
आगे से अपुन की दाढ़ी का यही रहेगा भाव
जगवीर शर्मा
कवि एवं मंच संचालक
मोदीनगर, गाज़ियाबाद, उ. प्र.।
मोबा.8307746794,9354498927
कवि एवं मंच संचालक
मोदीनगर, गाज़ियाबाद, उ. प्र.।
मोबा.8307746794,9354498927
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