!! छण भंगुर को आये जीवन मे !!
छण भंगुर को आये जीवन मे
सात जन्म की कसमें खाकर ।
प्रणय सूत्र का बन्धन अश्को से
बांध गये जीवन मे तुम आकर ।।
सात जन्म की ......
हमसफ़र बने तुम जब मेरी राहो के
फिर कियु तनहा हूँ में तुमको पाकर ।
ना बिसरे इस दिल से ये याद तुम्हारी
अब कहा बिसरू में तुमको जाकर ।।
सात जन्म की ......
विरह में जलता मुझको छोड़ गये यू
जरा देख तो लो तुम मुझको आकर ।
तुम बिन जीना तो फिर जीवन किया
चलती नही ये साँसे अब मेरी चाहकर ।।
सात जन्म की ......
रचना -
निशान्त झा