!! कहा गया वो कृष्ण मुरारी !!
पनघट सुना उपवन सुना
है सुनी कदम्ब की डारी ।
तोड़के बन्धन जन्मों का
कहा गया वो कृष्ण मुरारी ।।
ऐसा निरमोही बना कन्हैया
झट से झटक गया वो बईया ।
जाकर कहदो निष्ठुर से कोई
जी ना पायेंगी प्रीत की मारी ।।
पनघट सुना उपवन सुना
है सुनी कदम्ब की डारी ।।
वो ही मेरा प्राण आधार
मेरी साँसों का संचार ।
राधा अधूरी बिन कान्हा
बता दो जाके तृष्णा सारी ।।
पनघट सुना उपवन सुना
है सुनी कदम्ब की डारी ।।
गीतकार -
निशान्त झा "बटोही"
पनघट सुना उपवन सुना
है सुनी कदम्ब की डारी ।
तोड़के बन्धन जन्मों का
कहा गया वो कृष्ण मुरारी ।।
ऐसा निरमोही बना कन्हैया
झट से झटक गया वो बईया ।
जाकर कहदो निष्ठुर से कोई
जी ना पायेंगी प्रीत की मारी ।।
पनघट सुना उपवन सुना
है सुनी कदम्ब की डारी ।।
वो ही मेरा प्राण आधार
मेरी साँसों का संचार ।
राधा अधूरी बिन कान्हा
बता दो जाके तृष्णा सारी ।।
पनघट सुना उपवन सुना
है सुनी कदम्ब की डारी ।।
गीतकार -
निशान्त झा "बटोही"
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