मिथिला जेकर अपन छै, ओकरे मे हम साटब |
रक्ष भाव जे रखने मन मे,
पैर ओकर हम काटब||
ज्ञानक गरिमा हम जनै छी,
ताँइ आइ मैथिल कहबै छी|
हमरे मिथिला हमरे धरती ,
हम उपज के काटब||
मिथिला......
बण्ठा भाइसँ लेब विचार हम,
आऔर लोरीकसँ लाठी लेब|
दीनाक देल इजोतक दर्शन,
हम समाज मे बाँटब ||
रक्ष भाव. ......
ज्ञान सुधामयी निर्मल मिथिला,
भव्य दिव्य अछि भाल |
जाति धर्म के भेद के भेदब,
आओर खाइध के पाटब||
मिथिला.......
मिथिला के जे बाँटि रहल अछि,
देखियौ हमरे डाँटि रहल अछि|
हेतै विकाश मिथिला धरतीकेर,
बैसि विचार के बाँटब |
रक्ष भाव.....
मिथिला के हम क्रान्तिदूत छी,
घेरने रोग बिमारी,
एहि अनहार मे चाही हमरा,
वैचारिक चिनगारी|
गली गली अनहार घर मे,चन्द्र सूर्य के साटब
मिथिला.......
जे हमरा बुरिबक बुझइए,
बुझियौ अपने पैर कटइए|
आब चलाकी मुदा नञि चलतै,
अंकुशसँ हम आँकब||
मिथिला........
सुख शान्ति समृद्धि मनोहर,
हम समाज मे आनब|
बहुत ठकेलहुँ फेर ठकाएब नञि,
आब आगि नञि पाकब |
मिथिला.....
हमरा मिथिला राज नञि चाही,
भेटत तँ विधिवत् हम लेब |
हम्मर हिस्सा हमरा चाही,
नञि सुनब हम डाँटब ||
मिथिला......
वैचारिक कोमल किसलयसँ,
हम वैचारिक आगि जराएब|
बहिन चनैनिकेर खोंइछि भरब हम,
सलहेशक पौरुष हम पाएब||
मिथिला...... ......