वह कौन है?जो मौन है।
मार्तण्ड के प्रखर ज्योति मे ,
तन मन को करता होम है।
देते नही जिसे शीतलता,
हिम -हवा और सोम है।
जिसका नीरव क्रन्दन मात्र,
सुन रहा एक व्योम है।
समाज का संचालक भी,
खींचता मात्र उसी का लगाम,
खूँन बहाता संचालक भी
देता नहीं लहु का दाम।
दिनभर खेतों में जलता,
घर में होता है कुहराम।
अाँसू पीकर सोते बच्चे ,
दिन-रात और शुबह-शाम।
कर्ज अतीथि की सेवा में ,
मरता जीता रहता है।
क्रन्दन-कुन्ज में मासुमों की
बहती आँसू सरिता है।।
नोट -विद्वान एवं विदुषि मार्मिक मार्गदर्शन करें।
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