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मंगलवार, 12 जनवरी 2021


 मिथिला जेकर अपन छै, 

ओकरे मे हम साटब |

रक्ष भाव जे रखने मन मे,

पैर ओकर हम काटब||


ज्ञानक गरिमा हम जनै छी, 

ताँइ आइ  मैथिल कहबै छी|

हमरे मिथिला हमरे धरती ,

हम उपज के काटब||

मिथिला......

बण्ठा भाइसँ लेब विचार हम, 

आऔर लोरीकसँ लाठी लेब|

दीनाक देल इजोतक दर्शन, 

हम समाज मे बाँटब ||

रक्ष भाव. ......

ज्ञान सुधामयी निर्मल  मिथिला,

भव्य दिव्य अछि भाल |

जाति धर्म के भेद के भेदब,

आओर खाइध के पाटब||

मिथिला....... 

मिथिला के जे बाँटि रहल अछि, 

देखियौ हमरे डाँटि रहल अछि|

हेतै विकाश मिथिला धरतीकेर, 

बैसि विचार के  बाँटब |

रक्ष भाव.....

मिथिला के हम क्रान्तिदूत छी, 

घेरने रोग बिमारी, 

एहि अनहार  मे चाही हमरा, 

वैचारिक चिनगारी|

गली गली अनहार घर मे,चन्द्र सूर्य के साटब

मिथिला.......

जे हमरा बुरिबक बुझइए, 

बुझियौ अपने पैर कटइए|

आब चलाकी मुदा नञि चलतै,

अंकुशसँ हम आँकब||

मिथिला........ 

सुख शान्ति समृद्धि मनोहर, 

हम समाज मे आनब|

बहुत ठकेलहुँ फेर ठकाएब नञि, 

आब आगि नञि पाकब |

मिथिला..... 

हमरा मिथिला राज नञि  चाही, 

भेटत  तँ विधिवत् हम लेब |

हम्मर हिस्सा हमरा चाही,

नञि सुनब हम डाँटब ||

मिथिला...... 

वैचारिक कोमल किसलयसँ, 

हम वैचारिक आगि जराएब|

बहिन  चनैनिकेर खोंइछि भरब हम, 

सलहेशक पौरुष हम पाएब||

मिथिला...... ......

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