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बुधवार, 22 दिसंबर 2021

आबो करियौ सक्षम उचित विचार।

 


मनक मर्म मिथिला वासीसँ ,सुनबै छी सरकार।

नञि सपूत मिथिला मे रहलै ,के करतै उद्धार।।

मैथिल भैया यौ, आबो करियौ सक्षम उचित विचार।

नारीक शक्ति स्वरूप के देखियौ,घर -घर अछि लाचार।

दूष्ट  दहेजक कारण  नारी, सहइए अत्याचार।।

मैथिल भैया यौ,मन मे रखियौ आबो श्रेष्ठ विचार।

धोती पर जिन्स चढ़ल अछि,शाड़ी पर सलबार।

कपटी कामी-क्रोधी के भेल,मिथिला मे सरकार।।

मैथिल भैया यौ,मन मे राखब उत्तम श्रेष्ठ विचार।

रसगुल्लापर माछक कुटिया,मैथिल के संसार।

बरियातीक लेल खसीक जान जाए,इ नञि शिष्टाचार।।

मैथिल भैया यौ,आबो करियौ सक्षम उचित विचार।

घृतक नाम नञि;दही लुप्त भेल ,पापड़ आऔर अँचार।

ओलक चटनी हकन कनइए ,तिलकोरक धिक्कार ।।

मैथिल भैया यौ................

कुटिया बुट्टी भक्ष जिनक छनि,छथि ओ महिषासुर।

सिंहवाहिनी माता दुर्गा, औती आब जरूर।।

मैथिल भैया यौ...............

बहिन जानकी जागू सीता,जग-जननीक अवतार।

नारी भ्रूणक हत्या होइए,मिथिला मे भरमार।।

मैथिल भैया यौ................


रचनाकार - बद्रीनाथ राय

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