बना दिल आवारा !!
कहा खो गयी है लवो से ये खुशिया
फिरूँ ढूंढता यूँ ,दर बदर मारा मारा ।
कोई मुझको उनका पता तो बतादो
तसब्बुर में जिनके ,बना दिल आवारा ।।
फिरूँ ढूंढता यूँ .........
चाहत में जिनकी ये लुटा बैठे हस्ती
हँसते है वो ही घर ,फूँक कर हमारा ।
उन्हीं ने बनाया फिर,मुझको बिगाड़ा
यूँ खुदा मानकर ,था जिनको सँवारा ।।
फिरूँ ढूंढता यूँ .........
चलती है सांसे पर ज़िन्दगी कहा है
फिरूँ जीवन मे गमो से हारा हारा ।
मेरी रूह को सुकून कोई दिलादो
होगा एहसान इस दिल पर तुम्हारा ।।
फिरूँ ढूंढता यूँ .........
गीतकार-
निशान्त झा "रमण"
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