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जा रे,
बैरागी मन !
आज कहीं,
रम जा !
प्रेम रस राग में,
तु जा के रंग जा !
जा रे,
बैरागी मन !
आज कहीं,
रम जा !
मिट्टी की गोद में,
थिर धर बैठ जा !
ले हाथ पुष्प तु,
शांति का गीत गा !
जा रे,
बैरागी मन !
आज कहीं,
रम जा !
प्रेम रस राग में,
तु जा के रंग जा !
राग द्वेष मत रख,
दीप खुशी का जला !
सत्य के राह पर,
हर कदम तु उठा !
जा रे,
बैरागी मन !
आज कहीं,
रम जा !
प्रेम रस राग में,
तु जा के रंग जा !
© ✍..मिथिलेश राय
धमौरा:-२२-०८-२०१९
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