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रविवार, 19 जनवरी 2020

बैरागी मन ।। रचनाकर - मिथिलेश राय



!! बैरागी मन !!
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जा रे,
बैरागी मन !
आज कहीं,
रम जा  !
प्रेम रस राग में,
तु जा के रंग जा !
जा रे,
बैरागी मन  !
आज कहीं,
रम जा  !

मिट्टी की गोद में,
थिर धर बैठ जा  !
ले हाथ पुष्प तु,
शांति का गीत गा  !
जा रे,
बैरागी मन  !
आज कहीं,
रम जा  !
प्रेम रस राग में,
तु जा के रंग जा  !

राग द्वेष मत रख,
दीप खुशी का जला  !
सत्य के राह पर,
हर कदम तु उठा  !
जा रे,
बैरागी मन  !
आज कहीं,
रम जा  !
प्रेम रस राग में,
तु जा के रंग जा  !

© ✍..मिथिलेश राय
 धमौरा:-२२-०८-२०१९

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