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गुरुवार, 27 जनवरी 2022

देश भक्ति कविता ✍️अशोक जौहरी


 ।।।।।ललकार।।। 

उठो वीरों क्यों तुम सो रहे?

विघटित ,भ्रमित,दिशाहीन हो रहे।

क्षण क्षण होते अपमानित फिरंगियों से।

हतोत्साहित नपुंसक कापुरूष बने रहे।

विदेशी रौंदते तुम्हे पैरों तले।

अमानुशीय यातनाऐ तुम झेल रहे।

पल पल लुटती लाज वतन की।

क्यों तुम मूक दर्शक  बने रहे?

वेडियों में जकडी माँ भारती।

क्रन्दन करती बिलखती मुक्ति को तडपती 

तुम्हे पुकार रही।

क्यों निर्लज  बने तुम देख रहे?

क्यों खून  तुम्हारा नही खौल रहा?

उठो वीरों शक्ति पुंज हो तुम।

संगठित हो दुश्मन पर टूट पडो।

जन जन को जाग्रत करो।

 स्वराज्य है जन्म  सिद्ध अधिकार हमारा।

क्रान्तिकारियों का है शब्द घोष

क्या तुम भूल रहे?

उठाओ शस्त्र चलो रणभूमि पर।

आजादी का बिगुल बजा दो।

सिंहनाद से कापे धरती।

मुख से फूटे ज्वाला मुखी।

मतवाले चले शीश चढाने।

रूको न तुम वीर कभी।

खून से धरती लाल करो।

माँ का सपना साकार करो।

उद्दात  भावना अजादी की बनी रहे।

सन सैतालीस मे हम आजाद  हुए।

आजादी मिली नही भीख  मे न मनुहार  से।

आजादी मिली कुर्बानी से।

सहेजो इसे जी जान  से।

चीन  पाक घुसपैठ  कर रहे।

नित नये षड्यंत्र रच रहे।

असामाजिक तत्व फिर पनप रहे।

मुस्लिम  लव जेहाद छेड रहे।

जबरन कन्याओं को मुस्लिम बना।

माँ बेटी नही सुरक्षित  समाज  में।

हिन्दुओं जागो देश बचाओ।

संगठित हो राष्ट्रीय  एकता जगाओ।

आपसी वैमनस्य  भुलाओ।

संघे शक्ति का नारा लगाओ।

गद्दारों कै भार भगाओ।

राष्ट्र वादी बनो हिन्दुत्व जगाओ।

देश पशप्रेमी बनो

जन हित मे कार्य  करो।

अखंड भारत  की नीव रखो।

पटेल का स्वप्न साकार  करो 

वसुधैव कुटुम्बुकं का भाव जगाओ। 

जय जननी जय भारत। 



     अशोक जौहरी।

19033 ATS Adv  Indrapuram  gzb.

Ph 8595116629

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