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रविवार, 12 जुलाई 2020

हे रुद्र मेरे ।। गीतकार - श्री सतीश अर्पित जी

   


क्यूं रूष्ट हो तुम हे रुद्र मेरे,
अब त्यागो रूप विकराला को...
हे भोलेनाथ अब क्रोध तजो ...
प्रभु शांत करो निज ज्वाला को .....

धरती सारी यह त्रस्त हुई ...
चहूं ओर है पसरा भय अपार ,  नहीं सूझे कोई राह कहीं , 
मृत्यु ने मचाया हाहाकार , 
है कौन कहो शिव तुम जैसा , जो पान करे इस हाला को ...
हे भोलेनाथ अब क्रोध तजो ..
प्रभु शांत करो निज ज्वाला को .....

माना के हमसे भूल हुई ,
फिर भी हम तुम्हरे बालक हैं ,
अब करो क्षमा हे नीलकंठ ,
एक आप हमारे पालक हैं ।
हम दीन हीन हैं चरण पड़े ...
नित जपें नाम की माला को ....
हे भोलेनाथ अब क्रोध तजो ...
प्रभु शांत करो निज ज्वाला को .....

एक आस तुम्हीं इस सृष्टि के ,
तुम कारण अमृत वृष्टि के ....
है कौन के जिसकी शरण  गहूं...
तुम ही हो लक्ष्य,हर दृष्टि के...
"अर्पित" करता विनती हरपल 
अपने शंभू मतवाला को ....

हे भोलेनाथ अब क्रोध तजो ...
प्रभु शांत करो निज ज्वाला को .....
©️✍️ सतीश अर्पित
तारा म्यूजिक
12 जुलाई 2020

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