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शनिवार, 18 अप्रैल 2020

तेरी यादों का सबब है ऐसा .. रचनाकार - निशान्त झा "बटोही"

!! तेरी यादों का सबब !!


 तेरी यादों का सबब है ऐसा
 दर्द को दिल मे,छुपाने जैसा ।
 रहती मुस्कान लवो पे बेशक
 रहता खुशियों से,ये डर कैसा ।।

 क्या करूँ में ये शिकवा तुझसे
 जब खुदा ही,रूठ गया मुझसे ।
 मत पोछो इन नम आंखों को
 अश्क लगता है, हमसफ़र जैसा ।।

 तेरी यादों का सबब है ऐसा
 दर्द को दिल मे,छुपाने जैसा ।।

 चुभे जो काँटे गमो की राहो में
 मिलेगा सुकून, मौत की बांहों में ।
 ज़िन्दगी जख्म की मिसाल बनी
 "बटोही" ये तमाशा, तू बना कैसा ।।

 तेरी यादों का सबब है ऐसा
 दर्द को दिल मे,छुपाने जैसा ।।

 रचना -
 निशान्त झा "बटोही"




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