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गुरुवार, 4 अगस्त 2022

रक्षाबन्धन ।। अशौक जौहरी

 


।।।रक्षाबंधन ।।।
भाई  बहन का प्यार रहे अमर।
दिया वचन बहन को
मै निभाऊँजीवन भर।
माँ तुल्य बन कर।
वात्सल्य  लुटाया मुझ पर।
जब  जब सैलाब विपत्तियों का मुझे डिगाए।
मन निराशा कुंठा अवसाद से भर जाए।
हतोत्साहित मन बिन उमंग।
जीवन नीरस बन जाए।
बहन गुरू बन राह दिखाए।
सिखा जीवन दर्शन 
किया उचित मार्गदर्शन। 
भाई पर आँच ना आए।
जब से होश सँभाला।
रहा आश्रित तुम ही पर।
सीख तुम्हारी शिरोधार्य कर।
प्रण पाण से निभाऊँ निरन्तर। 
सूर्य प्रभा की दिव्य किरण।
सुयोग्य प्रकाशक तुम उपकरण।
  भावना हिन्दुत्व कीभरी तुमने।
सच्चा आश्वासन देता तम्हें।
लाख आये विघ्न बाधा
मै निभाऊँ अपना वादा।
अदम्य साहसी बन।
सजग प्रहरी बन तने रहें।
बहन तुमने मुझे कहा
सिंघ शावक मुझे
गौरव से सीना फूल रहा।
बन कर दिखाऊंगा
सिंघ एक दिन तुम्हे।
गम्भीरता से सोच समझ कर
निर्भीक होकर उठाया।जो कदम।
पीछे ना हटाएगे।
शपथ तुम्हारी कुछ कर के दिखाएगें।
रक्षा सूत्र बांधा मेरी 
कलाई पर।
कृतज्ञता से भर गया 
कंठ तक।
पहले सब माँ बहनो का
सम्मान करो।
उनको सुरक्षा प्रदान  करो।
तब मेरी ओर ध्यान  करो।
उनकी अस्मिता की खातिर।
अपने प्राण निसार करो।
देश हित मे हो समर्पित। 
करो जीवन अपना अर्पित।
माँ भारती का मान करो।
बनो आत्म विश्वासी अभिमानी।
देश पर हो कुर्बान। 
मत झुकाना देश की शान।
सभ्य सुसंस्कृत शिक्षित  नागरिक बन कर।
सच्ची सेवा समर्पण के बल पर।
दया भावना से भर कर।
सबका उपकार करो।
ईश्वर  से करता कमना
बहन की ना हो कभी
अवमानना। 
भाई बहन का प्रेम बन्धन। 
सदा बना रहे आकर्षण। 
करता रहे मेरा मार्ग दर्शन। 
युग युग जियो मेरी बहन।
     अशोक जौहरी

आज़ादी का अमृतोत्सव ।। अशौक जौहरी


आजादी का अमृतोत्सव 
आजादी के मतवाले
खूब लडे अंग्रेजो से।
कष्ट सहे अनेको। 
खेली होली खून से।
देश की खातिर मर मिटे।
कर्णधारो देश तुम्हारे हवाले।
अब हम स्वर्ग चले।
रग रग मे अमृत आजादी का बह रहा।
एक बून्द  स्वाभिमान की।
देशवासियो को पिला देना। 
75 वीं वर्षगांठ आजादी की अब परवान चढी।
हम सब मिल  मनाए 
अमृतोत्सव ।
खुशी से हम झूम उठे।
आत्म निर्भर हो भारत।
मोदी जी का स्वप्न साकार करो।
अहिन्सा,देशभक्ति, 
स्वालम्बी की मचान 
पर भारत  को चढा देना।
मिटे,गरीबी,बेरोज़गारी
भुखमरी
सब बने शिक्षित 
रोटी कपडा मकान
सबको दिला देना।
वसुदैव कुटुंबकम् का 
पाठ पढा देना।
मोदी जी का का उद्घोष रहे बुलन्द।
अन्दर बाहर  सीमा 
रहे चाक चौबन्द। 
 ,सुरक्षित रहे देश हमारा।
परमाणु से लैस सैन्य बल।
निर्भीक  साहसी सेना
दल।
करे मोदी नारा बुलंद। 
सबका हाथ सबका विकास।
पढे गीता,कुरान  साथ साथ।
मजबूत अर्थ  व्यवस्था 
सुधरे औद्योगिक अवस्था।
अति तीव्र संचार प्रणाली।
करे देश की रखवाली।
मोदी  राज मे भविष्य 
भारत  का उज्ज्वल। 
 विदेश नीति अति 
धवल।
मिटे गरीबी,बेरोज़गारी
मिले उत्तम शिक्षा।
सबको मिले रोटी,कपड़ा,मकान।
लो शपथ इस महोत्सव। 
नापाक चीन पाक ने
कब्जाई अवैध रूप  से जमीन। 
बहे खून कितना भी
एक एक इन्च जमीन बापस
लाना होगा।
तब तक चैन से ना सोना होगा। 
आतंकवादयो जेहादियो गद्दारो से लडना  होगा।
गर करे नारा बुलंद 
गाजवे_ए_हिन्द का।
मौत के घाट सुलाना होगा।
छीन लो पीओके नापाक
पाक से।
तिरंगा वहाँ फहराना होगा।
अखंड भारत का स्वप्न 
सरदार पटेल का साकार
करना होगा।
जय हिन्द जय भारत। 
   अशोक जौहरी



 

सोमवार, 25 अप्रैल 2022

प्रेरणा ।।। अशोक जौहरी


 प्रेरणा 

उद्विग्नता मन मे थी भरी।

वह थी मेरी काल रात्रि। 

उंच्छृखल भावना थी बह रही।

मन मे थी पीडा बडी।

मानव उत्पीड़न से थी झुलसी।

माँ सरस्वती का किया आह्वान।

क्षणो मे हुआ पीडा अवसान।

माँ ने मुझे धीरज  दिया।

प्रेरक प्रसंग  अन्तः भरा।

लिखने को हुआ व्याकुल बडा।

आत्म चिन्तन जब किया।

कुंठा नैराष्य  अवसाद  से जग भरा।

अन्धविश्वास,अज्ञानता उपेक्षा का प्रसार बडा।

विषम परिस्थित से था

जग जकडा।

बहती मानस मे कलुषित 

धारा।

युग पुरुष दयानन्द  का उद्गम हुआ। 

युग दृष्टा तुष्टा काल दर्षी।

जीवन उनका पारदर्शी। अविजित दयानन्द स्वामी।

दयानन्द  स्वामी विश्व विभूति।

सानिध्य  उनका दिव्य अनुभूति। 

उनका स्मरण मेरा अनुकरण। 

दैदिप्त  होता मेरा अन्तःकरण। 

प्रेरणा उनकी मेरी काव्य  कृति।

जन जन करती जाग्रति।

लाभान्वित होती माँ भारती। 

दयानन्द  गर तुम ना होते।

खाते हम अन्धेरे मे गोते।

कूप मंडूक होते हम पडे।

हम है सदा तुम्हारे आभारी।

तुम हो मेरे भाग्य  प्रभारी।

तुममे लगे मति हमारी।

जब तक रहे गंगा मे पानी।

अमर रहे वीर सेनानी।

      अशोक  जौहरी